मुंबई3 मिनट पहले
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एपल अगले साल से अमेरिका में बिकने वाले सभी आईफोन को भारत में बनाने की प्लानिंग कर रहा है। एपल काफी समय से चीन से निर्भरता कम करने और अपने सप्लाई चेन को वहां से बाहर शिफ्ट करने पर काम कर रही है।
हाल ही में अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की ओर से दुनियाभर के देशों पर टैरिफ लगाने के फैसले और चीन के साथ टैरिफ वॉर के बीच कंपनी ने यह फैसला। फाइनेंशियल टाइम्स ने शुक्रवार को इस बात की जानकारी दी।
2026 तक देश में सालाना 6 करोड़+ आईफोन बनेंगे
एपल अगर अपनी असेंबलिंग भारत की ओर इस साल के आखिर तक शिफ्ट कर लेती है, तो 2026 तक यहां सालाना 6 करोड़ से ज्यादा आईफोन का प्रोडक्शन होगा, जो मौजूदा कैपेसिटी से दोगुना है।
आईफोन मैन्यूफैक्चरिंग पर अभी चीन का दबदबा
अमेरिका एपल का सबसे महत्वपूर्ण बाजार है। इसके मैन्यूफैक्चरिंग इन्फ्रास्ट्रक्चर पर अभी चीन का दबदबा है। IDC के अनुसार, 2024 में कंपनी के ग्लोबल आईफोन शिपमेंट में इसका हिस्सा लगभग 28% था।
भारत में शिफ्ट कर हई टैरिफ बचाना चाहता है एपल
अमेरिकी मार्केट में बिकने वाले आईफोन का प्रोडक्शन चीन के बाहर शिफ्ट करने से कंपनी हाई टैरिफ से बचने के साथ-साथ अमेरिका-चीन रिलेशन से लॉन्ग-टर्म में आने वाले चुनौतियों से भी बचने पर काम कर रही है।
मार्च-24 से मार्च-25 में 60% बढ़ा आईफोन प्रोडक्शन
मार्च 2024 से मार्च 2025 तक के 12 महीनों में एपल ने भारत में 22 बिलियन डॉलर (करीब ₹1.88 लाख करोड़) वैल्यू के आईफोन का मैन्यूफैक्चरिंग किया। पिछले साल की तुलना में इसमें 60% की बढ़ोतरी हुई है।
इस दौरान एपल ने भारत से 17.4 बिलियन डॉलर (करीब ₹1.49 लाख करोड़) वैल्यू के आईफोन एक्सपोर्ट किए। वहीं, दुनियाभर में हर 5 में से एक आईफोन अब भारत में बन रहा है। भारत में आईफोन की मैन्यूफैक्चरिंग तमिलनाडु और कर्नाटक की फैक्ट्रियों में किया जाता है।
इसमें सबसे ज्यादा उत्पादन फॉक्सकॉन करता है। फॉक्सकॉन एपल का सबसे बड़ा मैन्यूफैक्चरिंग भी पार्टनर है। इसके अलावा टाटा इलेक्ट्रॉनिक्स और पेगाट्रॉन भी इस बढ़ते उत्पादन में योगदान करते हैं।

FY 2024 में 8 बिलियन डॉलर आईफोन की सेल
वित्त वर्ष 2024 में एपल के स्मार्टफोन की बिक्री 8 बिलियन डॉलर तक पहुंच गई। जबकि बाजार में इसकी हिस्सेदारी केवल 8% थी। भारत के उभरते मिडिल क्लास में अभी भी आईफोन एक लग्जरी बना हुआ है।इसलिए यहां मार्केट बढ़ने की उम्मीद है।
एपल का भारत पर इतना ज्यादा फोकस क्यों?
- सप्लाई चेन डायवर्सिफिकेशन: एपल चीन पर अपनी निर्भरता कम करना चाहता है। जियोपॉलिटिकल टेंशन, ट्रेड डिस्प्यूट और कोविड-19 लॉकडाउन जैसे दिक्कतों से कंपनी को लगा कि किसी एक क्षेत्र में ज्यादा निर्भर रहना ठीक नहीं है। इस लिहाज से एपल के लिए भारत एक कम जोखिम वाला ऑप्शन साबित हो रहा है।
- कॉस्ट एडवांटेज: भारत चीन की तुलना में कम लागत पर लेबर प्रोवाइड करता है, जो इसे इकोनॉमिकली ज्यादा अट्रैक्टिव बनाता है। इसके अलावा, लोकल लेवल पर मैन्यूफैक्चर करने से कंपनी को इलेक्ट्रॉनिक्स पर हाई इंपोर्ट कॉस्ट से बचने में मदद मिलती है।
- गवर्नमेंट इंसेंटिव: भारत की मेक इन इंडिया इनिसिएटिव और प्रोडक्शन लिंक्ड इनिसिएटिव (PLI) स्कीम्स कंपनियों को लोकल मैन्यूफैक्चरिंग बढ़ाने के लिए वित्तीय सहायता देती हैं। इन पॉलिसीज ने फॉक्सकॉन और टाटा जैसे एपल के पार्टनर्स को भारत में ज्यादा निवेश करने के लिए प्रोत्साहित किया है।
- बढ़ती बाजार संभावना: भारत दुनिया के सबसे तेजी से बढ़ते स्मार्टफोन मार्केट में से एक है। लोकल प्रोडक्शन से एपल को इस मांग को पूरा करने में ज्यादा मदद मिलती है, साथ ही इसकी बाजार हिस्सेदारी भी बढ़ जाती है, जो फिलहाल लगभग 6-7% है।
- एक्सपोर्ट के लिए अवसर: एपल इंडिया में बने अपने 70% आईफोन को एक्सपोर्ट करता है, जिससे चीन की तुलना में भारत के कम इंपोर्ट टैरिफ का फायदा मिलता है। 2024 में भारत से आइफोन एक्सपोर्ट 12.8 बिलियन डॉलर (करीब ₹1,09,655 करोड़) तक पहुंच गया। आने वाले समय में इसके और ज्यादा बढ़ने की उम्मीद है।
- स्किल्ड वर्कफोर्स और इन्फ्रास्ट्रक्चर: भारत का लेबर फोर्स एक्सपीरियंस के मामले में चीन से पीछे है, लेकिन अभी इसमें काफी सुधार हो रहा है। एपल के फॉक्सकॉन जैसे पार्टनर, प्रोडक्शन की जरूरतों को पूरा करने के लिए कर्मचारियों को ट्रेनिंग दे रहे हैं और कर्नाटक में 2.7 बिलियन डॉलर (₹23,139 करोड़) के प्लांट जैसे फैसिलिटीज का विस्तार कर रहे हैं।
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फॉक्सकॉन उत्तर प्रदेश में 300 एकड़ जमीन खरीद रही: यमुना एक्सप्रेसवे के पास बनाएगी मैन्यूफैक्चरिंग प्लांट, कंपनी एपल प्रोडक्ट्स सप्लाई करती है

एपल के लिए आइफोन, आइपैड और मैक बुक जैसे प्रोडक्ट्स असेंबल करने वाली कंपनी फॉक्सकॉन उत्तर प्रदेश के ग्रेटर नोएडा में 300 एकड़ जमीन खरीदने जा रही है।
यमुना एक्सप्रेसवे के पास इस जमीन पर कंपनी मैन्यूफैक्चरिंग प्लांट बनाएगी। यह फॉक्सकॉन का उत्तर भारत में पहला प्लांट होगा और बेंगलुरु में बनी मैन्यूफैक्चरिंग फैसिलिटी बड़ी होगी। उम्मीद है यह दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा प्लांट हो सकता है।
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