August 2, 2025

How was Sadhvi acquitted of RSS pracharak murder? | संघ प्रचारक मर्डर में भी आया था साध्वी का नाम: एमपी में 23 साल पहले हुआ ‘गुरुजी’ का शूटआउट अब भी रहस्य – Madhya Pradesh News

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ये बात साध्वी प्रज्ञा सिंह ठाकुर ने संघ प्रचारक सुनील जोशी हत्याकांड में अपने बचाव में कही थी। साध्वी प्रज्ञा सिंह इन दिनों चर्चा में हैं। दरअसल, 29 सितंबर 2008 को मालेगांव में ब्लास्ट हुआ था। इसमें 6 लोगों की मौत हो गई थी और 101 घायल हुए थे। साध्वी प्रज्ञा सिंह मालेगांव ब्लास्ट की आरोपी थी, एक दिन पहले (31 जुलाई) मामले में कोर्ट का फैसला आया है, जिसमें साध्वी प्रज्ञा को कोर्ट ने बरी कर दिया है।

करीब 8 साल पहले साल 2017 में भी देवास कोर्ट ने संघ प्रचारक सुनील जोशी हत्याकांड में फैसला सुनाया था। उस मामले में भी साध्वी प्रज्ञा सिंह आरोपी थीं। कोर्ट ने साध्वी प्रज्ञा सहित 8 लोगों को बरी किया था। जानिए कैसे पुलिस और एनआईए की जांच में विरोधाभास से आरोपी बरी हो गए थे…?

29 दिसंबर 2007 को संघ प्रचारक सुनील जोशी की गोली मारकर हत्या हुई थी।

29 दिसंबर 2007 को संघ प्रचारक सुनील जोशी की गोली मारकर हत्या हुई थी।

पहले जान लीजिए क्या था पूरा केस…?

29 दिसंबर 2007। रात के 10 बजकर 15 मिनट वक्त था। देवास में औद्योगिक थाना पुलिस को सूचना मिली की चूना खदान बालगढ़ में संघ प्रचारक सुनील जोशी को किसी ने गोली मार दी है। वो घायल हालत में वहां पड़े हैं। पुलिस तुरंत मौके पर पहुंची और जोशी को एमजीएच अस्पताल लेकर गई। जहां डॉ. एसके खरे ने जांच के बाद जोशी को मृत घोषित कर दिया।

पुलिस ने सुनील जोशी के घर से एक तलवार, एक एयरगन, दो मोबाइल बरामद किया। जांच के दौरान राज उर्फ हर्षद, मेहुल उर्फ घनश्याम, उस्ताद उर्फ मणि, मोहन उर्फ रिंकू फरार पाए गए। मामले में प्रज्ञा ठाकुर सहित हर्षद सोलंकी, रामचरण पटेल, वासुदेव परमार, आनंदराज कटारिया, लोकेश शर्मा, राजेंद्र चौधरी और जितेंद्र शर्मा को आरोपी बनाया गया।

इन पर हत्या, साक्ष्य छुपाने और आर्म्स एक्ट के तहत मामला दर्ज किया गया था। पहले मामले की जांच एमपी पुलिस ने की। बाद में यह मामला 2011 में राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) को सौंपा गया था, ताकी देश में उस वक्त कथित ‘भगवा आतंकवाद’ के आरोपों की जांच की जा सके।

आरोपी हर्षद सोलंकी ने कहा कि घटना के समय वह गुजरात में था। देवास में नहीं था। घटना के संबंध में उसे कोई जानकारी नहीं है। आरोपियों ने कोर्ट में तर्क दिया कि उनके पास से कट्‌टे, कारतूस, पिस्टल, मैगजीन और अन्य सामानों की बरामदगी भी प्रमाणित नहीं है। न ही बरामद किए गए हथियारों, कारतूस और खोखों का घटना के समय उपयोग किया जाना प्रमाणित हुआ है।

मामले में साध्वी प्रज्ञा ठाकुर का नाम भी सामने आया था।

मामले में साध्वी प्रज्ञा ठाकुर का नाम भी सामने आया था।

साजिश से लेकर सबूत मिटाने तक का आरोप आरोपी हर्षद सोलंकी, राजेंद्र चौधरी, लोकेश शर्मा, प्रज्ञा सिंह, वासुदेव परमार और आनंदराज कटारिया द्वारा आपसी सहमति से सुनील जोशी उर्फ गुरुजी उर्फ मनोज की हत्या करने का आपराधिक षडयंत्र रचा।

आरोपी हर्षद, राजेंद्र, लोकेश ने अवैध रूप से अपने पास रखे पिस्टल-कट्‌टे से सुनील जोशी की हत्या की। हत्या के बाद आरोपी रामचरण पटेल ने हत्या के सबूत नष्ट करने के लिए घटनास्थल से छेड़छाड़ की। मृतक के मोबाइल और सिम कार्ड को मौके से हटाया और इसी तरह आरोपी जितेंद्र शर्मा द्वारा घटना में उपयोग की गई पिस्टल-कट्‌टे को छुपाया।

(ये सब प्रत्यक्ष और परिस्थितिजन्य साक्ष्य पर आधारित है।)

जिसे पुलिस ने प्रत्यक्षदर्शी गवाह बनाया वो पलट गया रमेश पिता बद्रीलाल को पुलिस थाना औद्योगिक क्षेत्र देवास ने केस की जांच में घटना का प्रत्यक्षदर्शी गवाह बताया। पुलिस का तर्क था कि अपने बयान में रमेश ने कहा था कि रास्ते में नई आबादी पर उसे गुरुजी मिले थे और उनको बाइक पर बीच में बैठा लिया था।

बाइक के पीछे बैठे हर्षद उर्फ राज ने बाइक धीमी करने को कहा। फिर पीछे से पटाखे जैसी आवाज सुनाई दी। राज ने गुरुजी को बाइक से धक्का देकर उन्हें दो गोली मार दी थी। रमेश डरकर घर आकर सो गया था। लेकिन रमेश ने कोर्ट में कहा कि वो मृतक सुनील जोशी और वासुदेव परमार, राज, मेहुल, मोहन और उस्ताद को नहीं जानता।

साल 2007 में चूना खदान मेन रोड पर गुरुजी (सुनील जोशी) मृत अवस्था में मिले थे। उनकी मृत्यु कैसे हुई, इसकी कोई जानकारी उसे नहीं है। जिस दिन गुरुजी मरे थे उस दिन मोहन के साथ कहीं जाने का काम नहीं पड़ा था और न ही मेहुल चूना खदान से किसी को लेने देवास आया था।

रोड पर जहां गुरुजी की लाश पड़ी थी, वहां काफी भीड़ इकट्ठा हो गई थी। बाद में पुलिस आकर गुरुजी को ले गई थी। फिर वो भी अपने घर चला गया था। पुलिस ने उससे भोपाल में पूछताछ की थी। देवास में कोई पूछताछ नहीं हुई थी। देवास कोर्ट में बयान हुए थे।

बयान और कोर्ट की गवाही में अंतर क्यों…? रमेश ने ये स्वीकार किया कि पवन उसका भाई है, लेकिन ये बात नहीं मानी की उसने भाई पवन की सिम आरोपी राज को दे दी थी और पवन की सिम का उपयोग आरोपी राज करता था।

रमेश ने कोर्ट में ये भी कहा कि आरोपी राज द्वारा गुरुजी को गोली मारने, उसके द्वारा बाइक चलाने और गुरुजी को बीच में बैठाने, राज को पीछे बैठाने वाली बात पुलिस वालों के दबाव और मारपीट करने पर कही थी।

उसने भोपाल कोर्ट में गुरुजी की मौत कैसे हुई, उन्हें किसने मारा, ये नहीं बताया था। सिर्फ उनकी लाश देखने की बात कही थी। देवास पुलिस उसे भोपाल मुख्यालय ले गई थी। वहां 7 दिन रखा और मारपीट की। उसके परिजन को भी शारीरिक रूप से प्रताड़ित किया।

दोबारा बयान हुए, कुछ साबित नहीं कर पाए एनआईए ने एमपी पुलिस के बाद की गई जांच में गवाह रमेश के बयान फिर से धारा 164 में भोपाल कोर्ट में कराए। उसने घटना के समय मृतक सुनील जोशी के साथ उपस्थित होने से इनकार कर दिया। साथ ही राज द्वारा सुनील जोशी को गोली मारने से भी इनकार कर दिया। उसने कहा कि वह राज के साथ वासुदेव की दुकान पर जाने के लिए निकला तो चूना खदान के पास भीड़ लगी थी। वहां जाकर देखने पर सुनील जोशी को मृत स्थिति में पाया।

इस प्रकार दो जांच एजेंसियों द्वारा जिस तरह से सबूत जुटाए गए वो रमेश की गवाही से पूरी तरह निराधार हो गए।

महात्मा गांधी जिला अस्पताल में गुरुजी को लाया गया था, जहां उन्हें मृत घोषित किया गया।

महात्मा गांधी जिला अस्पताल में गुरुजी को लाया गया था, जहां उन्हें मृत घोषित किया गया।

मैं प्रज्ञा को इंदौर दशहरा मैदान छोड़ने नहीं गया मामले में डॉ. सुभाष बारोड़ ने गवाही दी कि वह संघ का स्वयंसेवक है और सुनील जोशी उर्फ गुरुजी को जानता है जो संघ के प्रचारक थे। वह प्रज्ञा सिंह को भी पिछले 10 सालों से जानता है और रामजी को भी जानता है। सुनील की हत्या की उसे जानकारी थी इसलिए सुबह सुनील जोशी की अंत्येष्टि में शामिल हुआ था।

अंत्येष्टि स्थल पर उसे कौन कौन मिले थे, याद नहीं है। उसने मृतक सुनील जोशी का घर नहीं देखा था। सुनील के विकास नगर स्थित मकान पर जाने का काम नहीं पड़ा था। न ही सुनील के यहां से कोई सामान उठाया था।

सुभाष ने इस बात से इनकार किया कि 29 दिसंबर 2007 की रात में रामजी ने उसके घर आकर सुनील को गोली मार दिए जाने की जानकारी दी थी, जिस पर वह अपने साथी संतोष पाटीदार के साथ कार से एमजी अस्पताल पहुंचा था, जहां उसे साध्वी प्रज्ञा सिंह मिली थी।

इस बात से भी इनकार किया कि साध्वी प्रज्ञा सिंह ने उसे सुनील जोशी के घर विकास नगर चलने को कहा था जिस पर वह और प्रज्ञा सिंह अलग-अलग कार से विकास नगर में सुनील जोशी के घर पहुंचे थे। जहां पर प्रज्ञा सिंह को अजय गुप्ता ने ब्रीफ केस लाकर दिया था। जिसके बाद प्रज्ञा सिंह और वो अलग अलग वाहनों से इंदौर निकल गए थे।

इस बात से भी इनकार किया कि प्रज्ञा सिंह ने ब्रीफ केस उसे अपने पास रखने को दिया था। वह प्रज्ञा सिंह को दशहरा मैदान तक छोड़ने गया था। उसने इस बात से भी इनकार किया कि अगले दिन 8-9 बजे रामजी नामक व्यक्ति उसके घर पर आया था। उस समय संतोष पाटीदार घर पर ही मौजूद था और रामजी द्वारा मांगे जाने पर ब्रीफ केस उसने रामजी को दिया था।

इस बात से भी मना किया कि ब्रीफकेस को खोलकर देखने पर ब्रीफकेस में कागज और कपड़े रखे हुए थे। उस ब्रीफकेस को रामजी अपने साथ लेकर चला गया था। सुभाष बारोड़ ने कहा कि वह डॉक्टर है और प्रज्ञा सिंह इलाज कराने इंदौर आई थी। इस कारण उससे परिचित है। इसके अतिरिक्त और कोई परिचय नहीं रहा है।

सुनील ने प्रज्ञा से की थी गलत हरकत, गवाह पलटी केस में गवाह कु. नीरा पिता भगवान सिंह भी कोर्ट में अपने बयान से पलट गई। उसने साध्वी प्रज्ञा से लगातार मिलने, मृतक सुनील जोशी और असीमानंद नामक व्यक्ति से संपर्क होने, सुनील, प्रज्ञा सिंह और असीमानंद द्वारा एकांत में बैठकर मीटिंग करने की बात से इनकार कर दिया।

उसने 21 फरवरी 2007 को प्रज्ञा सिंह, रितेश के साथ डांग गुजरात में असीमानंद के आश्रम में मेहुल, राज और मोहन से मिलने की बात से भी मना कर दिया।

वहीं पर प्रज्ञा सिंह ने मृतक सुनील से अच्छे संबंध होने की बात नीरा से कही। उसे प्रज्ञा सिंह ने सुनील द्वारा एक बार गलत हरकत करने की बात भी बताई थी। इस वजह से प्रज्ञा सुनील को कभी माफ नहीं करेगी, ये बात प्रज्ञा ने उससे कही थी। इन सभी बातों से नीरा पलट गई और उसने इनकार कर दिया।

साध्वी प्रज्ञा ठाकुर के खिलाफ जांच एजेंसियां अपराध साबित करने में नाकाम रहीं।

साध्वी प्रज्ञा ठाकुर के खिलाफ जांच एजेंसियां अपराध साबित करने में नाकाम रहीं।

गवाह बोला- कलसांगरा को नहीं दिया बैग केस में गवाह शीतल गहलोत ने इस बात से इनकार किया कि वह वासुदेव परमार के साथ हाटपिपल्या गया था, जहां वासुदेव परमार ने मदद मांगते हुए ग्राम राजोदा में चंद्रपाल के यहां से दो बैग लाने का कहते हुए चंद्रपाल का मोबाइल नंबर दिया था, वो ग्राम राजोदा से चंद्रपाल के यहां से दो बैग लेकर आरएसएस कार्यालय गया था।

शीतल गहलोत ने इससे भी मना किया कि आरोपी वासुदेव परमार के आरएसएस कार्यालय में मिलने का कहने के बाद भी नहीं मिलने पर वह वासुदेव की दुकान पर गया था, इसके बाद आरएसएस कार्यालय से दो बैग उठाकर अपने निवास स्थान हाटपिपल्या ले गया।

उसने इस बात से भी इनकार किया कि उसे प्रमोद झा ने फोन लगाकर दोनों बैग रामजी कलसांगरा को देने के लिए कहा था। इसके बाद उसने दोनों बैग खोले तो दोनों बैग में 12-15, 1-1 फीट की रॉड और कुछ पीवीसी वायर मिले थे जिससे उसे जानकारी हुई थी कि बैग में बम बनाने की सामग्री रखी है।

शीतल गहलोत ने इस बात से भी इनकार किया कि उसे बाद में कैलाश चंद्रावत ने बैग नर्मदा नदी में फेंकने के लिए दिए थे। जिसे उसने नर्मदा नदी में फेंक दिया था।

अब समझिए चार्जशीट में आरोपों की रूपरेखा

शुरुआती पुलिस जांच : 2007 में देवास में RSS प्रचारक सुनील जोशी की हत्या हुई। MP पुलिस ने प्रारंभ में इस केस को बंद करने की रिपोर्ट दी, लेकिन बाद में 2010 में केस को फिर से खोला गया और चार्जशीट दाखिल की गई।

NIA की चार्जशीट (2014‑15) : 2011 में मामला NIA को सौंपा गया। NIA ने साध्वी प्रज्ञा सहित अन्य आरोपियों पर IPC की धारा 120(B) (साजिश) और 302 (हत्या) के तहत चार्जशीट दाखिल की। आरोप था कि जोशी की हत्या साजिशबद्ध थी। इसकी वजह थी उन्हें संभावना थी कि वो समझौता एक्सप्रेस/अजमेर/मलेगांव धमाकों में झूठ पकड़ सकते थे।

मुख्य आधार

  • जोशी की हत्या अक्टूबर 2008 तक साजिश की तरह सामने आई।
  • NIA ने दावा किया कि प्रज्ञा के साथ जोशी ने अनुचित व्यवहार (licentious advances) किया। इस वजह से उनकी हत्या की गई।
  • साजिश की लिंक समग्र हिंदुत्व संगठनों से भी जोड़ी गई।

कोर्ट ने स्पष्ट कहा कि दोनों एजेंसियां पर्याप्त गंभीरता के साथ जांच नहीं कर सकीं, जिससे विरोधाभासी और कमजोर साक्ष्य सामने आए।

इससे जुड़ी ये खबरें भी पढ़ें… 1. मालेगांव ब्लास्ट- पूर्व सांसद, लेफ्टिनेंट कर्नल समेत सातों आरोपी बरी

मालेगांव ब्लास्ट मामले में 17 साल बाद फैसला आया। ब्लास्ट में 6 लोगों की मौत हुई थी।

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महाराष्ट्र के मालेगांव ब्लास्ट केस में NIA स्पेशल कोर्ट ने साध्वी प्रज्ञा समेत सातों आरोपियों को बरी कर दिया है। इनमें पूर्व भाजपा सांसद साध्वी प्रज्ञा ठाकुर, लेफ्टिनेंट कर्नल श्रीकांत प्रसाद पुरोहित, रमेश उपाध्याय, अजय राहिरकर, सुधाकर चतुर्वेदी, समीर कुलकर्णी और सुधाकर धर द्विवेदी शामिल थे। पढ़ें पूरी खबर…

2. साध्वी प्रज्ञा का जेल से संसद तक का सफर

पूर्व भाजपा सांसद साध्वी प्रज्ञा सिंह ठाकुर को मालेगांव ब्लास्ट केस में 31 जुलाई को बरी कर दिया गया। एनआईए की स्पेशल कोर्ट में ये साबित नहीं किया जा सका कि जिस बाइक में ब्लास्ट हुआ वो प्रज्ञा के नाम रजिस्टर्ड थी। आरोपी बनने से लेकर भोपाल से सांसद बनने तक का सफर कैसा रहा पढ़िए इस रिपोर्ट में। पढ़ें पूरी खबर…​​​​​​​

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