india us trade deal tariff donald trump modi | भारत-अमेरिका में 6 महीने बाद भी ट्रेड डील नहीं हुई: भारत एग्रो-डेयरी सेक्टर में छूट को तैयार नहीं; ट्रम्प ने लगाया 25% टैरिफ
वॉशिंगटन डीसी9 मिनट पहले
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भारत के टॉप 10 व्यापारिक साझेदारों में से सिर्फ अमेरिका ही एकमात्र देश है, जिससे भारत को ट्रेड घाटा नहीं है।
भारत और अमेरिका के बीच फरवरी में ट्रेड डील पर वार्ता शुरू हुई थी। इस बातचीत को 6 महीने हो चुके हैं, लेकिन दोनों देश अभी तक किसी भी नतीजे पर नहीं पहुंच पाएं हैं।
इस बीच अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने बुधवार को ऐलान किया है कि वो भारत पर 1 अगस्त से 25% टैरिफ लगाएंगे और रूस से हथियार और तेल खरीदने की वजह से जुर्माना भी लगाएंगे।
इतनी लंबी बातचीत के बाद भी अभी तक ठोक नतीजा नहीं निकला। अमेरिका, भारत के एग्री और डेयरी सेक्टर में एंट्री चाहता है, लेकिन भारत इसके लिए तैयार नहीं है। आगे स्टोरी में जानिए डील न होने पाने की संभावित वजहें कौन-कौन सी हैं।
एग्रीकल्चर और डेयरी सेक्टर में मतभेद
अमेरिका भारत से एग्रीकल्चर और डेयरी प्रोडक्ट के लिए भारतीय मार्केट खोलने और टैरिफ कम करने की मांग कर रहा है। हालांकि, भारत ने इन सेक्टर को अपनी रेड लाइन घोषित कर रखा है।
इन सेक्टर में किसी भी तरह के फैसले से लोकल किसानों, ग्रामीण रोजगार, और फूड सिक्योरिटी पर असर पड़ सकता है।
इसके अलावा भारत को अमेरिकी डेयरी प्रोडक्ट्स को लेकर खास चिंता है, क्योंकि अमेरिका में दुधारू पशुओं को मांसाहारी चारा (ब्लड मील) खिलाया जाता है, जो भारतीय सांस्कृतिक और धार्मिक भावनाओं के खिलाफ है।
ट्रम्प की टैरिफ पॉलिसी पर असहमति
अमेरिका ने 2 अप्रैल, 2025 को भारत समेत कई देशों पर 26% रेसिप्रोकल (जैसे को तैसा) टैरिफ लगाने की घोषणा की थी, जिसे 9 जुलाई तक के लिए सस्पेंड कर दिया।
भारत इस एक्स्ट्रा टैरिफ के सहमत नहीं है। इसके अलावा वह स्टील, एल्यूमीनियम, और ऑटो पार्ट्स पर पहले से लागू अमेरिकी टैरिफ में छूट की मांग कर रहा है।
दूसरी तरफ, अमेरिका 10% बेसलाइन टैरिफ को बनाए रखना चाहता है और भारत से कुछ सेक्टर्स में जीरो टैरिफ की मांग कर रहा है।
भारत ने अमेरिकी चिंताओं को देखते हुए अपने बजट में कई अमेरिकी प्रोडक्ट्स पर टैरिफ में भारी कटौती भी की थी।
अमेरिकी मार्केट में ज्यादा जगह चाहता है भारत
भारत और अमेरिका पहले एक मिनि ट्रेड डील पर काम कर रहे थे, जिसे 8 जुलाई, 2025 से पहले पूरा करने की योजना थी। हालांकि अब दोनों देश एक बड़ा ट्रेड समझौता करना चाहते हैं, जिससे प्रोसेस जटिल हो गई है।
भारत चाहता है कि उसके कपड़ा, गहने, चमड़ा और प्लास्टिक इंडस्ट्री को अमेरिकी मार्केट में ज्यादा जगह मिले। दूसरी ओर, अमेरिका चाहता है कि भारत नॉन-टैरिफ दिक्कतों को कम करे। इस मुद्दे पर दोनों के बीच सहमति नहीं बन पाई है।
भारत अपने आर्थिक हितों को लेकर सजग
एक्सपर्ट्स के मुताबिक भारत अपनी आर्थिक और रणनीतिक हितों को लेकर सावधानी बरत रहा है। ट्रम्प के बयानों को लेकर भारत सतर्क है, क्योंकि इससे ऐसी शर्तें थोपी जा सकती हैं जो पहले से तय वार्ता में अलग हो।
भारत ने साफ किया है कि वो ऐसी किसी डील पर साइन नहीं करेगा जो सिर्फ अमेरिकी फायदे को पूरा करे।
इसके अलावा भारत सरकार पर किसान संगठनों और सिविल सोसाइटी का भी दबाव है। सरकार इसकी अनदेखी नहीं कर सकती है।
ट्रम्प ने पहले कहा था- भारत हमारे सामानों पर टैक्स नहीं लगाएगा
डोनाल्ड ट्रम्प ने 17 जुलाई को कहा था कि जल्द ही अमेरिकी उत्पादों को भारत के बाजारों में पहुंच मिलने वाली है। इंडोनेशिया फॉर्मूले के तरह अमेरिकी उत्पादों पर भारत में भी जीरो टैरिफ लगेगा।
ट्रम्प ने कहा था- हमने कई देशों के साथ समझौते किए हैं। हमारा एक और समझौता होने वाला है, शायद भारत के साथ। हम बातचीत कर रहे हैं। जब मैं लेटर भेजूंगा तो वो समझौता हो जाएगा।
ट्रम्प ने 15 जुलाई को इंडोनेशिया पर 19% टैरिफ लगाया था। 1 अगस्त से इंडोनेशिया से अमेरिका जाने वाले सामानों पर 19% टैरिफ लगेगा। वहीं, अमेरिकी सामानों पर इंडोनेशिया में कोई टैरिफ नहीं लगेगा।
अमेरिकी टीम ट्रेड डील के लिए 25 अगस्त को भारत आएगी
बाइलेटरल ट्रेड एग्रीमेंट (BTA) को लेकर छठे राउंड की चर्चा के लिए अमेरिकी अधिकारी 25 अगस्त को भारत आएंगे।
दोनों देश सितंबर-अक्टूबर तक ट्रेड एग्रीमेंट्स का पहला चरण पूरा करने की दिशा में काम कर रहे हैं। इसके साथ ही एक अंतरिम ट्रेड एग्रीमेंट की संभावना भी तलाशी जा रही है।
ट्रेड डील को लेकर बातचीत का पिछला राउंड वाशिंगटन में हुआ था। वहां भारत के चीफ नेगोशिएटर राजेश अग्रवाल और US ट्रेड रिप्रेजेंटेटिव ब्रेंडन लिंच ने चर्चा की थी। पूरी खबर पढ़ें…