June 26, 2025

NASA SpaceX Axiom Astronauts Mission; Glucose Insulin | Shubhanshu Shukla | अंतरिक्ष में पहली बार इंसुलिन और ब्लड-शुगर पर होगा रिसर्च: एक्सिओम-4 मिशन में एस्ट्रोनॉट पहनेंगे ग्लूकोज मॉनीटर; इससे डाइबिटीज के इलाज में भी मदद मिलेगी

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नई दिल्ली4 दिन पहले

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भारतीय वायुसेना में पायलट शुभांशु शुक्ला ISS पर जाने वाले पहले और स्पेस में जाने वाले दूसरे भारतीय होंगे। - Dainik Bhaskar

भारतीय वायुसेना में पायलट शुभांशु शुक्ला ISS पर जाने वाले पहले और स्पेस में जाने वाले दूसरे भारतीय होंगे।

एक्सिओम-4 मिशन डाइबिटीज के मरीजों के लिए अंतरिक्ष की यात्रा करने की उम्मीद की किरण लेकर आया है। ऐसा इसलिए क्योंकि UAE की हेल्थ सर्विस प्रोवाइडर बुर्जील होल्डिंग्स माइक्रोग्रैविटी में ग्लूकोज के व्यवहार पर एक रिसर्च कर रही है। एक्सिओम-4 मिशन के तहत सूट राइड एक्सपेरिमेंट के एक हिस्से के रूप में भारतीय अंतरिक्ष यात्री शुभांशु शुक्ला समेत बाकी लोग ऑर्बिटल लैब में 14 दिन लगातार ग्लूकोज मॉनिटर पहनेंगे।

अबू धाबी की बुर्जील होल्डिंग्स के CMO मोहम्मद फितयान ने पीटीआई को बताया कि वे बस यह देखने की कोशिश कर रहे हैं कि अंतरिक्ष में रहने के दौरान ब्लड शुगर के लेवल में कोई बदलाव या उतार-चढ़ाव होता है या नहीं।

माइक्रोग्रैविटी में ग्लूकोज और इंसुलिन के व्यवहार के अध्ययन से वैज्ञानिकों को अंतरिक्ष यात्रियों और उन रोगियों के लिए वियरेबल टेक्नीक बनाने में मदद मिलेगी जो बिस्तर पर पड़े हैं या लकवा जैसी बीमारियों के कारण कम मूवमेंट कर पाते हैं।

इसके अलावा अंतरिक्ष यात्री इंसुलिन पेन भी साथ ले जाएंगे, जो अलग-अलग तापमान में रखे होंगे, जिससे यह देखा जा सके कि माइक्रोग्रैविटी में इंसुलिन के अणुओं पर क्या असर पड़ता है।

अभी तक अंतरिक्ष यात्रा पर नहीं गया कोई शुगर पेशेंट

नेशनल एरोनॉटिक्स एंड स्पेस एडमिनिस्ट्रेशन (NASA) इंसुलिन लेने वाले डाइबिटीज के रोगियों को अंतरिक्ष में जाने की परमिशन नहीं देता है। हालांकि इंसुलिन न लेने वाले डाइबिटीज के रोगियों के लिए कोई आधिकारिक मनाही नहीं है, लेकिन अभी तक कोई भी शुगर पेशेंट एस्ट्रोनॉट ने अंतरिक्ष की यात्रा नहीं की है।

इसके अलावा एक्सिओम मिशन-4 के दौरान 60 प्रयोग किए जाने हैं, जिनमें 7 भारतीय वैज्ञानिकों ने डेवलप किए हैं​​। इसमें माइक्रोग्रैविटी में स्प्राउट्स का अंकुरण, फसलों के बीजों पर रिसर्च, एल्गी पर माइक्रोग्रैविटी और रेडिएशन का असर जैसे रिसर्च प्रोजेक्ट शामिल हैं।​​​​​

क्या-क्या बदल सकता है यह रिसर्च

  • डाइबिटीज से जूझ रहे अंतरिक्ष यात्रियों को भविष्य में स्पेस मिशन की मंजूरी मिलने की संभावना बढ़ सकती है।
  • AI बेस्ड पूर्वानुमान मॉडल तैयार होंगे जो इंसुलिन जरूरतों और मेटाबोलिक बदलावों को रियल टाइम में ट्रैक कर सकेंगे।
  • यह रिसर्च दूरदराज के इलाकों में डायबिटीज देखभाल को बेहतर बनाने और टेली-हेल्थ सर्विस में मददगार हो सकता है।
  • यह रिसर्च इंसुलिन सेंसिटिविटी को बढ़ाने वाली नई दवाओं के विकास और बैठे-बैठे कसरत जितना असर रखने वाली दवाएं खोजने में भी मदद करेगा।

एक महीने में 6 बार टली मिशन की लॉन्चिंग

29 मई, 8 जून, 10 जून, 11 जून, 12 जून और 22 जून को भी लॉन्चिंग शेड्यूल थी, लेकिन ISS के Zvezda सर्विस मॉड्यूल के पिछले हिस्से में हाल ही में हुए मरम्मत कार्य की समीक्षा और सुरक्षा जांच के लिए इसे अनिश्चितकाल के लिए टाल दिया गया।

एक्सिओम-4 (Ax-4) में चार देशों के चार एस्ट्रोनॉट 14 दिन के लिए स्पेस स्टेशन जाने वाले हैं। शुभांशु ISS पर जाने वाले पहले और स्पेस में जाने वाले दूसरे भारतीय होंगे। इससे पहले राकेश शर्मा ने 1984 में सोवियत यूनियन के स्पेसक्राफ्ट से अंतरिक्ष यात्रा की थी।

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लखनऊ के शुभांशु शुक्ला जल्द ही NASA और Axiom Space के कंबाइंड मिशन पर अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (ISS) की उड़ान भरेंगे। मिशन में उनके साथ 4 लोग जा रहे हैं। मिशन का नाम-Axiom 4 है। अंतरिक्ष में वे 14 दिन रहेंगे। इंडियन एयरफोर्स के ग्रुप कैप्टन और एस्ट्रोनॉट शुभांशु ऐसा करने वाले के दूसरे अंतरिक्ष यात्री होंगे, उनसे पहले राकेश शर्मा ये कारनामा कर चुके हैं। पूरी खबर पढ़ें…

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