Rajasthan Judicial Exam Controversy ; Sikh Girl Barred Appearing Judicial Exam Due To Sikh Signs | Jaipur | पंजाब की छात्रा को राजस्थान में पेपर देने से रोका: कड़ा-कृपाण उतारने को कहा; SGPC बोली-सिखों का अपमान, यूनिवर्सिटी की सफाई- गाइडलाइन थी – Punjab News
राजस्थान के जयपुर में सिख धर्म के ककारों को लेकर हुए विवाद के बारे में बताती तरनतारन की स्टूडेंट गुरप्रीत कौर।
पंजाब के तरनतारन जिले से राजस्थान में जयपुर की पूर्णिमा यूनिवर्सिटी में आयोजित न्यायिक सेवा परीक्षा (PCS-J) में शामिल होने पहुंची एक सिख छात्रा को उसके धार्मिक प्रतीकों (ककार) की वजह से परीक्षा केंद्र में जाने से रोक दिया गया।
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छात्रा का आरोप है कि सिक्योरिटी स्टाफ ने उससे ककार उतारने के लिए कहा, लेकिन उसने ऐसा नहीं किया। इस कारण छात्रा परीक्षा केंद्र के अंदर नहीं जा सकी, जिससे उसका एग्जाम छूट गया। मौके से ही उसने घटना के कुछ वीडियो बनाकर शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी (SGPC) को ईमेल किए।
इस घटना को SGPC ने धार्मिक स्वतंत्रता का उल्लंघन बताया है। वहीं, पंजाब की राजनीतिक पार्टियां भी राजस्थान के CM से इस मामले में संज्ञान लेकर जिम्मेदार अधिकारी पर कार्रवाई की मांग कर रही हैं।
वहीं, यूनिवर्सिटी के रजिस्ट्रार ने इस कार्रवाई को गाइडलाइन के अनुरूप बताया। साथ ही यह भी कहा कि इसमें यूनिवर्सिटी का कोई लेना-देना नहीं है। एग्जामिन बॉडी की ओर से यह कार्रवाई की गई थी।
जयपुर की पूर्णिमा यूनिवर्सिटी में अभ्यर्थी का परीक्षा केंद्र बनाया गया था।
यूनिवर्सिटी के रजिस्ट्रार ने ये अहम बातें कहीं…
- गाइडलाइन के अनुरूप एग्जाम कंडक्ट हुआ: पूर्णिमा यूनिवर्सिटी के रजिस्ट्रार डॉ. देवेंद्र सोमवंशी ने कहा है कि एग्जामिन बॉडी की ओर से दी गई गाइडलाइन के अनुरूप एग्जाम कंडक्ट करवाया था। उन्होंने कहा- इसमें ताबीज, झंडा, कड़ा या इस तरह के आभूषण या फिर उपकरण को परीक्षा केंद्र में ले जाने की अनुमति नहीं थी।
- 5 छात्रों को रोका, केवल 1 ने विरोध किया: रजिस्ट्रार ने कहा- इस गाइडलाइन के अनुरूप आज परीक्षा केंद्र पर 5 छात्रों को रोका गया था। 4 ने गाइडलाइन का पालन करते हुए परीक्षा केंद्र में एंट्री ली। एक अभ्यर्थी इसका विरोध करने लगी।
- इसमें यूनिवर्सिटी का कोई लेना-देना नहीं: उन्होंने कहा- यह पूरी प्रक्रिया गाइडलाइन के अनुरूप परीक्षा का आयोजन करने वाली संस्था की ओर से ही की गई। इसमें पूर्णिमा यूनिवर्सिटी ने सिर्फ स्थान उपलब्ध करवाया है। एग्जाम लेने वाले शिक्षकों से लेकर अभ्यर्थियों की जांच करने वाले अधिकारियों तक सभी एग्जामिन बॉडी द्वारा ही भेजे गए थे।
खडूर साहिब से एग्जाम देने गई थी छात्रा जानकारी के अनुसार, पंजाब के तरनतारन जिले के खडूर साहिब की रहने वाली छात्रा गुरप्रीत कौर का रविवार को एग्जाम था। उसे 9 बजे तक एग्जाम सेंटर पर पहुंचना था और 10 बजे से उसकी परीक्षा थी। जब वह पूर्णिमा यूनिवर्सिटी में बनाए एग्जाम सेंटर पर पहुंची तो सिक्योरिटी स्टाफ ने उसे रोक लिया।
सिक्योरिटी स्टाफ ने छात्रा से कहा कि वह अपना कड़ा और कृपाण उतारकर रख दे और अंदर जाए। छात्रा ने इसका विरोध किया और कड़ा व कृपाण नहीं उतारे। इसे लेकर दोनों के बीच बहस हुई। इस पर सिक्योरिटी ने छात्रा को एग्जाम सेंटर में नहीं घुसने दिया। इसके बाद छात्रा ने इस घटना के वीडियो बनाकर SGPC को भेजे।
वीडियो में छात्रा ने क्या-क्या बताया…
- मेरा नाम रोल नंबर लिस्ट में, सारा सामान वह लाई, जो अलाउड है: छात्रा गुरप्रीत कौर ने वीडियो में कहा- राजस्थान के जयपुर की पूर्णिमा यूनिवर्सिटी में उसकी ज्युडिशियरी की परीक्षा थी। परीक्षार्थी की तरह मैं भी इस यूनिवर्सिटी में परीक्षा देने आई। रोल नंबर लिस्ट में है। मैं कुछ भी ऐसा सामान लेकर नहीं आई, जो अलाउड नहीं था।
- हाईकोर्ट का आदेश कहकर रोका गया: छात्रा ने आगे कहा- आर्टिकल-25 में लिखा है कि मैं कृपाण लेकर चल सकती हूं, लेकिन कहा जा रहा है कि हाईकोर्ट के आदेश हैं कि कृपाण-कड़ा कुछ भी नहीं ले जा सकते। महिलाओं के ड्रेस कोड को लेकर एक नियम पढ़कर सुनाया गया है। कोई शार्प ऑब्जेक्ट नहीं ले जा सकते।
- पहले से पता होता तो मैं फॉर्म ही नहीं भरती: गुरप्रीत कौर ने कहा- इसमें सिख की कृपाण को लेकर नियम नहीं है। यहां एक पॉइंट और जोड़ देते कि अमृतधारी सिख को कृपाण के बिना आना होगा। अगर ये जोड़ा होता तो शायद मैं यहां का फॉर्म ही नहीं भरतीं और यहां नहीं आना पड़ता।
- लाइन में से सबसे पहले मुझे ही निकाला गया: छात्रा ने बताया- 10 बजे पेपर शुरू होना था। सवा 9 बजे एंट्री शुरू हुई। मैं पहली परीक्षार्थी थी, जो लाइन में खड़ी थी और मुझे सबसे पहले बाहर निकाला गया। पिछले साल भी इस तरह की दिक्कत आई थी। शायद हर साल बच्चे इसी का सामना करते होंगे। जिन्होंने उतार दिया, वे अंदर चले गए। उनके लिए शायद पेपर ज्यादा जरूरी था।
- मुझे नोडल अफसर का नाम तक नहीं बताया: गुरप्रीत ने कहा- ये लोग मुझे बताएंगे कि क्या जरूरी है? एक अमृतधारी के लिए कृपाण कितनी जरूरी है, ये मुझे बताएंगे? अगले साल भी ऐसा ही होगा। ये मुझे बता नहीं रहे कि यहां का नोडल ऑफिसर कौन है? मुझे कहा जा रहा है कि हाईकोर्ट के रजिस्ट्रार से बात करो। मुझे नहीं पता कि अगले साल यह नियम जोड़े जाएंगे कि अमृतधारी सिख कृपाण के साथ अंदर नहीं जा सकता।
- पहले से बताते तो कृपाण भी छोटी लेकर आती: परीक्षार्थी ने कहा- यह कड़ा है। कहीं भी नहीं बताया गया कि कड़ा कितने साइज का पहना जा सकता है। मैं पहले ही छोटा पहनकर आई थी। मैं कृपाण कितने साइज की लेकर जाऊं, यह भी नहीं बता रहे। अगर वे मुझे बता देते तो मैं कृपाण भी छोटी ले आती। उनके पास खुद कोई निर्देश नहीं है। उनके पास यही निर्देश है कि अंदर नहीं जा सकते।
वीडियो में अपने साथ घटी घटना की जानकारी देती छात्रा गुरप्रीत कौर।
छात्रा का वीडियो मिलने पर SGPC का बयान आया SGPC के सदस्य गुरचरण सिंह ग्रेवाल ने इस घटना की पुष्टि करते हुए इसे सिख धर्म के खिलाफ एक सीधा अपमान बताया। उन्होंने कहा कि सिख धर्म के अनुयायी ककारों को अपनी धार्मिक पहचान का अभिन्न हिस्सा मानते हैं और संविधान में उन्हें धार्मिक स्वतंत्रता का अधिकार प्राप्त है।
उन्होंने प्रशासन से पूछा कि अगर अदालत में एक सिख वकील या जज अपने धार्मिक प्रतीकों के साथ बैठ सकते हैं, तो फिर एक सिख स्टूडेंट को परीक्षा देने से क्यों रोका गया? ग्रेवाल ने राज्य और केंद्र सरकार से इस घटना पर कड़ा संज्ञान लेने की मांग की है और जिम्मेदार अधिकारियों पर कार्रवाई की बात कही है।
घटना पर अकाल तख्त और राजनीतिक दल क्या बोले…