October 7, 2025

Supreme Court said- look at God in justice, not in the judge | सुप्रीम कोर्ट बोला- न्याय में भगवान देखिए, न्यायाधीश में नहीं: मंदिर मामले की सुनवाई के दौरान वकील ने कहा था- हमें अपने जजों में भगवान दिखता है

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नई दिल्ली2 घंटे पहले

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मामले की पैरवी कर रहे वकील ने केस से अलग होने की इजाजत मांगी थी। - Dainik Bhaskar

मामले की पैरवी कर रहे वकील ने केस से अलग होने की इजाजत मांगी थी।

सुप्रीम कोर्ट में शुक्रवार को एक वकील ने सुनवाई के दौरान कहा कि हमें अपने न्यायाधीशों में भगवान दिखाता है। इस पर बेंच ने कहा कि आप न्याय में भगवान देखिए, न्यायाधीश में नहीं। जस्टिस एमएम सुंदरेश और जस्टिस के विनोद चंद्रन की बेंच ने उत्तर प्रदेश के एक मंदिर मामले की सुनवाई के दौरान की।

दरअसल, वकील ने केस से अलग होने की इजाजत मांगी थी। बेंच ने वकील को केस से हटने की इजाजत दे दी, लेकिन ज्यादा कहा- भावुक न हों। जज पब्लिक सर्वेंट होते हैं। हममें भगवान मत देखिए। कृपया न्याय में भगवान को देखिए।

मुअक्किल ने फिक्सिंग के आरोप लगाए थे वकील ने बेंच से कहा था- मुअक्किल मेरी बात नहीं सुनता है। उसने नोटिस भेजा है। आरोप लगाए हैं कि वकील के जरिए न्यायाधीशों की फिक्सिंग होती है। मुझे लगता है कि कुछ बेईमानी चल रही है तो मैं खुद ही केस से हट जाता हूं।

पहले भी हो चुके हैं ऐसे कमेंट…

पूर्व CJI बोले- जज देवताओं की तरह पूजनीय नहीं भारत के पूर्व CJI डीवाई चंद्रचूड़ ने भी 2024 में ऐसी ही टिप्पणी की थी। वे कोलकाता के एक सम्मेलन के उद्घाटन सत्र में बोल रहे थे। उन्होंने कहा था जजों की भूमिका लोगों की सेवा करना है, न कि देवताओं के रूप में पूजनीय होना।

पूर्व CJI ने कहा था, ‘कई बार, हमें लॉर्डशिप या लेडीशिप के रूप में संबोधित किया जाता है। जब लोग कहते हैं कि कोर्ट न्याय का मंदिर है, तो यह बहुत गंभीर खतरा है। ऐसा इसलिए क्योंकि जज खुद को उन मंदिरों में देवताओं के रूप में देखेंगे।’

केरल हाईकोर्ट बोला- बेंच में कोई भगवान नहीं बैठा केरल हाईकोर्ट ने 2023 में भी इस बात पर जोर दिया था कि जजों को भगवान की तरह नहीं माना जाना चाहिए। जस्टिस पीवी कुन्हीकृष्णन ने कहा था, ‘आमतौर पर अदालत को न्याय के मंदिर के रूप में जाना जाता है, लेकिन बेंच में कोई भगवान नहीं बैठा है। जज अपने संवैधानिक कर्तव्यों और दायित्वों का पालन कर रहे हैं।’

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