Supreme Court Update; Highway Rules | Driver Responsibility | सुप्रीम कोर्ट बोला- हाईवे पर अचानक ब्रेक लगाना लापरवाही: भले ही पर्सनल इमरजेंसी हो; सड़क पर पीछे की गाड़ियों को सिग्नल देना ड्राइवर की जिम्मेदारी
नई दिल्ली2 मिनट पहले
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सुप्रीम कोर्ट ने 7 जनवरी, 2017 को तमिलनाडु के कोयंबटूर में अचानक ब्रेक लगाने के कारण हादसे के एक मामले पर यह फैसला दिया।
सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को अपने एक अहम फैसले में कहा है कि बिना किसी अलर्ट के हाईवे पर अचानक ब्रेक लगाना लापरवाही है। ऐसे मामलों में कोई हादसा हुआ, तो अचानक ब्रेक लगाने वाले ड्राइवर को जिम्मेदार माना जा सकता है।
जस्टिस सुधांशु धूलिया और जस्टिस अरविंद कुमार की बेंच ने कहा कि हाईवे के बीच में किसी ड्राइवर का अचानक रुकना, भले ही वह किसी पर्सनल इमरजेंसी के कारण ही क्यों न हुआ हो, अगर इससे सड़क पर किसी और को खतरा हो, तो उसे सही नहीं ठहराया जा सकता।
फैसला लिखने वाले जस्टिस धूलिया ने कहा, ‘हाईवे पर गाड़ियां तेज रफ्तार में ही चलती है और अगर कोई ड्राइवर अपना गाड़ी रोकना चाहता है, तो उसकी जिम्मेदारी है कि वह सड़क पर पीछे चल रहे अन्य गाड़ियों को चेतावनी या संकेत दे।
सुप्रीम कोर्ट ने 8 साल पुराने मामले पर फैसला दिया सुप्रीम कोर्ट का यह फैसला 8 साल पहले, 7 जनवरी, 2017 को तमिलनाडु के कोयंबटूर में अचानक ब्रेक लगाने के कारण हादसे के एक मामले पर आया है। इसमें इंजीनियरिंग के छात्र एस मोहम्मद हकीम का बायां पैर काटना पड़ा था। मोहम्मद हकीम ने इसको लेकर सुप्रीम कोर्ट में याचिका लगाई थी।
उन्होंने याचिका में कहा कि यह घटना तब हुई जब हकीम अपनी मोटरसाइकिल से हाईवे पर जा रहे थे। तभी उनके आगे चल रही एक कार ने अचानक ब्रेक लगा दी। हकीम की बाइक कार के पिछले हिस्से से टकरा गई थी। हकीम सड़क पर गिर गया और पीछे से आ रही एक बस ने उसे कुचल दिया।
कार ड्राइवर ने कहा- प्रेग्नेंट पत्नी को उल्टी जैसा महसूस हो रहा था कार ड्राइवर ने दावा किया था कि उसने अचानक ब्रेक इसलिए लगाए क्योंकि उसकी प्रेग्नेंट पत्नी को उल्टी जैसा महसूस हो रहा था। हालांकि, कोर्ट ने इस दलील को यह कहते हुए खारिज कर दिया कि हाईवे के बीच में अचानक कार रोकने पर कोई भी सफाई किसी भी तरीके से सही नहीं है।
हालांकि, कोर्ट ने ड्राइवर के इस तर्क को खारिज कर दिया और उसे सड़क हादसे के लिए 50% जिम्मेदार माना। बेंच ने कहा कि इस बात को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता कि कार ड्राइवर के अचानक ब्रेक लगाने के कारण ही हादसा हुआ।
सुप्रीम कोर्ट ने पीड़ित छात्र और बस ड्राइवर को भी जिम्मेदार ठहराया वहीं, कोर्ट ने लापरवाही के लिए याचिकाकर्ता हकीम को भी 20% और बस चालक को 30% तक जिम्मेदार ठहराया। पीड़ित की तरफ से मुआवजा बढ़ाने की उसकी याचिका स्वीकार करते हुए, बेंच ने कहा- याचिकाकर्ता ने भी आगे चल रही कार से पर्याप्त दूरी बनाए न रखने और बिना वैध लाइसेंस के मोटरसाइकिल चलाने में लापरवाही बरती थी।
सुप्रीम कोर्ट ने मुआवजे की कुल राशि 1.14 करोड़ रुपए आंकी, लेकिन याचिकाकर्ता की लापरवाही के कारण इसे 20% कम कर दिया। बाकी की मुआवजे राशि बस और कार की बीमा कम्पनियों को चार सप्ताह के भीतर पीड़ित को देने का आदेश दिया गया है।